أَعـــــــــــــــــــــــوذ بالله من الشيطان الرجيم●
🍂🍃ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🍂🍃
📒 तफ़सीर दावतुल क़ुरआन 📒
✒️ लेख़क: अबू नोमान सैफ़ुल्लाह ख़ालिद
🖋️ तर्जुमा: मोहम्मद शिराज़ (कैफ़ी)
🌺🍀🍁 सूरह फ़ातिहा 🌺🍀🍁
➡️ भाग 3
तौरात व इंजील और क़ुरआन
मजीद में सुरह फ़ातिहा जैसी कोई सूरत नहीं, जैसा कि सय्यदना अबू हुरैरा रज़ियल्लाहू
अन्हु रिवायत हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि ने उबई बिन कआब रज़ियल्लाहू अन्हु
से फ़रमाया: “क्या तुम इस बात को पसंद करते हो कि मैं तुम्हें एक ऐसी सूरत सिखाऊँ
कि इस जैसी सूरत न तौरात में नाज़िल हुई, न ज़बूर में, न इंजील में और न क़ुरआन में”।
उबई बिन कआब रज़ियल्लाहू अन्हु ने कहा, हाँ! ऐ अल्लाह के रसूल! रसूलुल्लाह
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “मैं उम्मीद करता हूँ कि तुम इस दरवाज़े से न
निकलने पाओगे कि वो तुम्हें सिखा दी जाएगी”। सय्यदना उबई रज़ियल्लाहू अन्हु कहते
हैं, फिर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझसे बात करने
लगे, मैंने धीरे धीरे चल रहा था, इस डर से कि कहीं रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम बात ख़त्म करने से पहले (दरवाज़े पर) न पहुँच जायें। जब हम दरवाज़े के क़रीब
पहुँचे तो मैंने कहा, ऐ अल्लाह के रसूल! वो कौन सी सूरत है जिसके बताने का आपने
मुझसे वादा किया था? रसूलुल्लाह सल्लालाल्हू अलैहि ने फ़रमाया: “तुम नमाज़ में क्या
पढ़ते हो”? सय्यदना उबई रज़ियल्लाहू अन्हु कहते हैं, मैंने सूरह फ़ातिहा पढ़ कर सुनाई।
रसूलुल्लाह सल्लाल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “उस ज़ात की क़सम जिसके हाथ में
मेरी जान है! अल्लाह ने इस सूरत की जैसी न तौरात में कोई सूरत नाज़िल की, न इंजील
में, न ज़बूर में और न फ़ुरक़ान (क़ुरआन) में और बेशक वो सबअ मसानी है”। [मुसनद
अहमद: 9364, तिरमिज़ी: 2875]
हर नमाज़ की हर रकात में
सूरह फ़ातिहा पढ़ना वाजिब है, जैसा कि सय्यदना उबादा बिन सामित रज़ियल्लाहू अन्हु
बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि ने फ़रमाया: “जो शख़्स सुरह फ़ातिहा न
पढ़े उसकी नमाज़ ही नहीं होती”। [बुख़ारी: 756, मुस्लिम: 874]
हर रकात में सूरह
फ़ातिहा रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि का तरीक़ा था, जैसा सय्यदना अबू क़तादा रज़ियल्लाहू
अन्हु कहते हैं, बेशक नबी सल्लल्लाहु अलैहि ज़ुहर की पहली दो रकातों में सूरह
फ़ातिहा और दो सूरतें पढ़ते थे और आख़िरी दो में सिर्फ़ सूरह फ़ातिहा पढ़ते थे। [बुख़ारी:
776]
जारी है...................................
सभी भाग पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और अपने दोस्तों और रिशतेदारों को शेयर करें
https://authenticmessages.blogspot.com/2024/08/tafseer-dawat-ul-quran-hindi_28.html
No comments:
Post a Comment