أَعـــــــــــــــــــــــوذ بالله من الشيطان الرجيم●
🍂🍃ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🍂🍃
📒 तफ़सीर दावतुल क़ुरआन 📒
✒️ लेख़क: अबू नोमान सैफ़ुल्लाह ख़ालिद
🖋️ तर्जुमा: मोहम्मद शिराज़ (कैफ़ी)
🌺🍀🍁 सूरह फ़ातिहा 🌺🍀🍁
➡️ भाग 8
बच्चों
के लिए अल्लाह की पनाह चाहना, जैसा कि सय्यदना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहू
अन्हुमा बयान करते हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हसन व हुसैन रज़ियल्लाहू
अन्हुमा के लिए इन शब्दों के ज़रिये पनाह तलब किया करते थे: {{أَعُوذُ
بِكَلِمَاتِ
اللَّهِ
التَّامَّةِ
مِنْ
كُلِّ
شَيْطَانٍ
وَهَامَّةٍ
وَمِنْ
كُلِّ
عَيْنٍ
لَامَّةٍ}}“मैं अल्लाह के
तमाम कलिमात एक साथ (तुम दोनों के लिए) हर शैतान से और उस मख़लूक़ से जो बुराइ का इरादा करे और हर नज़र लगाने वाली
आँख से पनाह मांगता हूँ”। [बुख़ारी: 3371]
बीमारी
के वक़्त अल्लाह की पनाह माँगना, जैसा कि सय्यदना उस्मान बिन अबुल आस रज़ियल्लाहू
अन्हु कहते हैं कि मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से एक बीमारी की
शिकायत की जो इस्लाम क़ुबूल करने के बाद मैंने पहली बार महसूस की थी। आप सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “अपने हाथ को अपने जिस्म पर तकलीफ़ वाली जगह रख कर तीन बार
‘बिस्मिल्लाह’ कहो और सात बार ये दुआ पढ़ो: {{}} ‘मैं अल्लाह तआला की और उसकी क़ुदरत
की पनाह पकड़ता हूँ उस चीज़ के शर से जो मैं पाता हूँ और जिससे डरता हूँ’”। [मुस्लिम:
5737]
बुरा
ख़्वाब देखने पर अल्लाह की पनाह तलब करना, जैसा कि सय्यदना अबू क़तादा रज़ियल्लाहू
अन्हु बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “अच्छा
ख़्वाब अल्लाह तआला की तरफ़ से होता है और बुरा ख़्वाब शैतान की तरफ़ से होता है, तो
अगर तुममें से कोई शख़्स बुरा ख़्वाब देख कर उससे डर जाए तो वो अपनी बाईं तरफ़
थुतकारे और अल्लाह तआला से उसके शर से पनाह मांगे तो वो उसे नुक़सान न पहुँचायेग”। [बुख़ारी:
3292]
सुबह
व शाम और बिस्तर पर लेटते वक़्त अल्लाह की पनाह में आना जैसा कि सय्यदना अबू हुरैरा
रज़ियल्लाहू अन्हु बयान करते हैं कि सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहू अन्हु ने
कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल! मुझे ऐसी दुआ सिखा दीजिये जो मैं सुबह व शाम पढ़ा करूँ।
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “ये पढ़ा करो:
}}اللَّهُمَّ عَالِمَ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ فَاطِرَ السَّمَوَاتِ وَالْأَرْضِ رَبَّ كُلِّ شَيْءٍ وَمَلِيكَهُ أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ، أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ نَفْسِي وَمِنْ شَرِّ الشَّيْطَانِ وَشِرْكِهِ{{
‘ऐ
अल्लाह! ज़ाहिर व छुपे हुए को जानने वाले! आसमान व ज़मीन के पैदा करने वाले! हर चीज़
को पालने वाले और उसके मालिक! मैं गवाही देता हूँ कि तेरे सिवा कोई माबूद नहीं,
मैं अपने नफ़्स के शर से और मरदूद शैतान के शर और शिर्क से तेरी पनाह चाहता हूँ’”
फिर आपने फ़रमाया: “इस दुआ को सुबह व शाम और रात को बिस्तर पर जाते वक़्त पढ़ा करो”। [तिरमिज़ी:
3392]
जारी है...................................
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