🍁 *حدیث:-* وَعَنْ أُمِّ سَلَمَةَ قَالَتْ قُلْتُ: يَا رَسُولَ الله إِنِّي امْرَأَة أَشد ضفر رَأْسِي فأنقضه لغسل الْجَنَابَة قَالَ «لَا إِنَّمَا يَكْفِيكِ أَنْ تَحْثِي عَلَى رَأْسِكِ ثَلَاثَ حَثَيَاتٍ ثُمَّ تُفِيضِينَ عَلَيْكِ الْمَاءَ فَتَطْهُرِينَ» . رَوَاهُ مُسلم
🍁 *तर्जुमा :-* उम्मे सलमा रज़ियल्लाहु अन्हा बयान करती हैं, मैंने कहा: अल्लाह के रसूल! मैं एक ऐसी औरत हूँ कि मैं अपने सर के बालो को मज़बूत गूंधती हूँ, तो क्या मैं जनाबत के ग़ुस्ल के लिए इसे खोल दिया करूँ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “नहीं, तुम्हारे लिए यही काफी है कि तुम अपने सर पर तीन चुल्लू पानी डालो, फिर अपने जिस्म पर पानी बहा लो, तो तुम पाक हो जाओगी”।
📚 *[मुस्लिम (744), मिशकातुल मसाबीह (438)]*
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