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Sunday, February 21, 2021

🍂🍃ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🍂🍃

🍁 *حدیث:-* وَعَن مُحَمَّد بن يحيى بن حبَان الْأنْصَارِيّ ثمَّ الْمَازِني مَازِن بني النجار عَن عُبَيْدِ اللَّهِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عُمَرَ قَالَ قلت لَهُ أَرَأَيْتَ وُضُوءَ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عُمَرَ لِكُلِّ صَلَاةٍ طَاهِرًا كَانَ أَوْ غَيْرَ طَاهِرٍ عَمَّنْ أَخَذَهُ؟ فَقَالَ: حَدَّثَتْهُ أَسْمَاءُ بِنْتُ زَيْدِ بْنِ الْخَطَّابِ أَنَّ عَبْدَ اللَّهِ بْنَ حَنْظَلَةَ بْنِ أبي عَامر ابْن الْغَسِيلِ حَدَّثَهَا أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ كَانَ أُمِرَ بِالْوُضُوءِ لِكُلِّ صَلَاةٍ طَاهِرًا كَانَ أَوْ غَيْرَ طَاهِرٍ فَلَمَّا شَقَّ ذَلِكَ عَلَى رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ أُمِرَ بِالسِّوَاكِ عِنْدَ كُلِّ صَلَاةٍ وَوُضِعَ عَنْهُ الْوُضُوءُ إِلَّا مِنْ حَدَثٍ قَالَ فَكَانَ عَبْدُ اللَّهِ يَرَى أَنَّ بِهِ قُوَّةً عَلَى ذَلِكَ كَانَ يَفْعَله حَتَّى مَاتَ. رَوَاهُ أَحْمد

🍁 *तर्जुमा :-* मुहम्मद बिन याहया बिन हब्बान रहमतुल्लाह अलैह बयान करते हैं, मैंने उबैदुल्लाह बिन अब्दुल्लाह बिन उमर से कहा: क्या तुमने अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहू अन्हुमा को हर नमाज़ के लिए वुज़ू करते हुए देखा है चाहे वो पहले ही वुज़ू से हों या बे वुज़ू और उन्होंने यह मसअला कहाँ से लिया है? उन्होंने कहा: अस्मा बिन्ते ज़ैद बिन ख़त्ताब ने उन्हें हदीस बयान की कि अब्दुल्लाह बिन हन्ज़लह बिन अबी आमिर अल ग़सील ने उन्हें हदीस बयान की कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को वुज़ू होने या वुज़ू ना होने हर हाल में हर नमाज़ के लिए वुज़ू करने का हुक्म दिया गया, तो जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर यह अमल मुश्किल हुआ, तो आपको हर नमाज़ के वक़्त मिस्वाक करने का हुक्म दिया गया और वुज़ू का हुक्म ख़त्म कर दिया गया जबकि वुज़ू ना होने की सूरत में वुज़ू करने का हुक्म बाक़ी रहा। रावी बयान करते हैं, अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हु समझते थे कि उन्हें हर नमाज़ के लिए नया वुज़ू करने की ताक़त है लिहाज़ा वो मरते दम तक इस पर अमल करते रहे।

📚 *[इसकी सनद हसन है, मुसनद अहमद (22306),अबू दावूद (48), सहीह इब्ने ख़ुज़मा (15), मुस्तदरक हाकिम (1/156), मिशकातुल मसाबीह (426)]*

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