*أَعـــــــــــــــــــــــوذ بالله من الشيطان الرجيم*●
🍂🍃ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🍂🍃
🍃🎋🍃🎋...♡...🎋🍃🎋🍃🎋
*तफ़सीर दावतुल क़ुरआन*
लेख़क: अबू नोमान सैफ़ुल्लाह ख़ालिद
तर्जुमा: मोहम्मद शिराज़ (कैफ़ी)
*सूरह फ़ातिहा*
*भाग 8*
किसी बीमारी से शिफ़ा पाने के लिए जो दुआ पढ़ कर मरीज़ को दम किया जाता
है, वो भी “बिस्मिल्लाह” से शुरू होती है, जैसा कि सय्यदना अबू
सईद ख़ुदरी (र) बयान करते हैं, जिब्रील अलैहिस्सलाम रसूलुल्लाह (स) के पास आये और
पूछा: “ऐ
मुहम्मद! क्या आप बीमार हैं”? रसूलुल्लाह (स) ने फ़रमाया:
“हाँ!”
तो
जिब्रील अलैहिस्सलाम ने यह दुआ पढ़ी:
}}بِاسْمِ اللهِ أَرْقِيكَ، مِنْ كُلِّ شَيْءٍ يُؤْذِيكَ، مِنْ شَرِّ كُلِّ نَفْسٍ، أَوْ عَيْنِ حَاسِدٍ، اللَّهُ يَشْفِيكَ بِاسْمِ اللهِ أَرْقِيكَ{{
“अल्लाह के नाम के साथ, मैं तुम्हारे लिए हर उस चीज़ से जो
तुम्हें तकलीफ़ पहुँचाती है और हर नफ़्स की बुराई से या हासिद की नज़रे बद की बुराई
से शिफ़ा तलब करता हूँ, अल्लाह तुम्हें शिफ़ा अता करे, मैं अल्लाह के नाम के साथ
तुम्हारे लिए शिफ़ा तलब करता हूँ”। *[मुस्लिम: 5700]*
जिस जगह दर्द हो वहाँ हाथ रख कर तीन बार “बिस्मिल्लाह”
पढ़ना,
जैसा कि सय्यदना उस्मान बिन अबुल आस (र) ने रसूलुल्लाह (स) से अपने जिस्म में किसी
जगह दर्द होने की शिकायत की, जो इस्लाम क़ुबूल करने के बाद पहली बार हुआ था, तो
रसूलुल्लाह (स) ने फ़रमाया: “अपना हाथ दर्द की जगह रखो, फिर तीन बार “बिस्मिल्लाह”
और
सात बार यह दुआ पढ़ो:
}}أَعُوذُ بِاللَّهِ وَقُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَأُحَاذِر{{
“मैं अल्लाह की और उसकी क़ुदरत की पनाह तलब करता हूँ इस बीमारी
की बुराई से जो इस वक़्त मुझे हुई है और इससे भी जिसके आगे होने का ख़तरा है”। *[मुस्लिम: 5737]*
बीमार की शिफ़ा पाने के लिए शहादत की उंगली ज़मीन पर रखिये, फिर उसे
उठा कर यह दुआ पढ़िए, जैसा कि सय्यदा आयशा रज़ियल्लाहू अन्हा बयान करती हैं कि बेशक
रसूलुल्लाह (स) (मरीज़ की शिफ़ा के लिए) यह दुआ पढ़ते थे: *{{ بِاسْمِ اللَّهِ تُرْبَةُ أَرْضِنَا
بِرِيقَةِ بَعْضِنَا لِيُشْفَى بِهِ سَقِيمُنَا بِإِذْنِ رَبِّنَا}}* “अल्लाह के नाम के साथ, हमारी ज़मीन की मिट्टी और हममें से कुछ
के लुआबे दहन से हमारे रब के हुक्म से हमारा मरीज़ शिफ़ा पा जाए”। *[बुख़ारी: 5746]*
मुस्लिम के अल्फ़ाज़ हैं कि आप (स) अपनी शहादत वाली उंगली ज़मीन पर
रखते, फिर उठाते और ऊपर ज़िक्र की हुई दुआ पढ़ते। *[मुस्लिम: 5719]*
खाना खाने से पहले “बिस्मिल्लाह” पढ़ना चाहिए, जैसा कि
सय्यदना उमर बिन अबी सलमा (र) बयान करते हैं कि मैं जब बच्चा था और रसूलुल्लाह (स)
की परवरिश में था और (खाना खाते वक़्त) मेरा हाथ बर्तन में चरों तरफ़ घूमा करता था,
तो रसूलुल्लाह (स) ने फ़रमाया:
}}يَا غُلَامُ، سَمِّ اللَّهَ وَكُلْ بِيَمِينِكَ
وَكُلْ مِمَّا يَلِيكَ{{
“ऐ लड़के! बिस्मिल्लाह पढ़ कर अपने दाएँ हाथ से खाओ और अपने सामने
से खाओ”। *[बुख़ारी: 5376, मुस्लिम: 5269]*
अगर खाने से पहले “बिस्मिल्लाह” पढ़ना भूल जाए तो याद
आने पर नीचे दी गयी दुआ पढ़िए, सय्यदा आयशा रज़ियल्लाहू अन्हा बयान करती हैं कि
रसूलुल्लाह (स) ने फ़रमाया: “जब तुममें से कोई खाना खाये तो बिस्मिल्लाह कहे, अगर शुरू में “बिस्मिल्लाह”
भूल
जाये तो यह दुआ पढ़े:
}}بِسْمِ اللَّهِ فِي أَوَّلِهِ وَآخِرِهِ{{
“अल्लाह तआला के नाम के साथ (खाता हूँ) इसके शुरू और इसके आख़िर
में”। *[तिरमिज़ी: 1858]*
जानवर ज़िबह करते वक़्त की दुआ, सय्यदना अनस (र) बयान करते हैं,
रसूलुल्लाह (स) ने दो चितकबरे, सींगों वाले मेंढ़ों की क़ुरबानी दी और उन्हें अपने
हाथ से ज़िबह किया और आपने यह दुआ पढ़ी: *{{بِاسْمِ اللَّهِ وَاللَّهُ أَكْبَرُ}}* “अल्लाह के नाम के साथ और अल्लाह सबसे बड़ा है”। *[बुख़ारी (5565), मुस्लिम
(5087)]*
शिकार के लिये शिकारी जानवर या तीर छोड़ते वक़्त “बिस्मिल्लाह”
कहना,
जैसा कि सय्यदना अदी बिन हातिम (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह (स) ने फ़रमाया: “जब तुम (शिकार के
लिए) अपना कुत्ता छोड़ो तो बिस्मिल्लाह कहो और अगर तुम अपना तीर फेंकों तो
बिस्मिल्लाह कहो”। *[मुस्लिम: 4981, बुख़ारी: 5487]*
जिस ज़बीहा के बारे में इल्म न हो कि इस पर बिस्मिल्लाह पढ़ी गई है या
नहीं तो ख़ुद बिस्मिल्लाह पढ़ लीजिए जैसा कि सय्यदा आयशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहू अन्हा
बयान करती हैं कि एक बार कुछ लोगों ने रसूलुल्लाह (स) से पूछा कि कुछ लोग हमारे
पास गोश्त लाते हैं, हमें नहीं मालूम कि उन्होंने इस पर बिस्मिल्लाह पढ़ी है या
नहीं, रसूलुल्लाह (स) ने फ़रमाया: “तुम इस पर बिस्मिल्लाह पढ़ लो और खा लो”। आयशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहू
अन्हा बयान करती हैं कि यह लोग अभी इस्लाम में नये नये दाख़िल हुए थे। *[बुख़ारी:
5507]*
घर में दाख़िल होते वक़्त “बिस्मिल्लाह” पढ़ने की फ़ज़ीलत बयान
करते हुए सय्यदना जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह (स)
फ़रमाते हैं: “जब कोई शख़्स अपने घर में दाख़िल होते वक़्त और खाना खाते वक़्त
अल्लाह का ज़िक्र करे तो शैतान (अपने साथियों से) कहता है, अब तुम्हारे लिए न
ठिकाना है न खाना और अगर वो शख़्स दाख़िल होते वक़्त अल्लाह का नाम न ले तो शैतान
(अपने साथियों से) कहता है, अब तुम्हें रहने के लिए ठिकाना मिल गया”। *[मुस्लिम: 5262]*
सोने से पहले “बिस्मिल्लाह” पढ़ कर अन्जाम दिए जाने वाले कुछ आमाल
बयान करते हुए सय्यदना जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह (स)
ने फ़रमाया: “जब तुम सोने लगो तो दरवाज़ों को अल्लाह का नाम ले कर बन्द कर
दो, क्यूंकि शैतान बन्द दरवाज़े को नहीं खोलता, अल्लाह का नाम ले कर मिश्कीज़ों
(बोतलों) के मुंह बाँध दो. अल्लाह का नाम ले कर अपने बर्तनों को ढ़क दो, चाहे किसी
चीज़ को चौड़ाई में रख ही ढ़क सको और (अल्लाह का नाम लेकर) अपने दिये बुझा दो”। *[बुख़ारी: 5623]*
लशकर को रवाना करते वक़्त रसूलुल्लाह (स) की नसीहत, सय्यदना बुरैदा
(र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह (स) जब किसी लशकर को नसीहत फ़रमाते तो कहते: {{اغْزُوا بِاسْمِ اللَّهِ فِي سَبِيلِ
اللَّهِ}} “अल्लाह का नाम लेकर अल्लाह के रास्ते
में जिहाद करो”। *[मुस्लिम: 4522]*
बिस्तर पर लेटते वक़्त, सय्यदना अबू हुरैरा (र) बयान करते हैं कि
रसूलुल्लाह (स) ने फ़रमाया: “जब तुममें से कोई शख़्स अपने बिस्तर पर आये तो वो अपने तहबन्द
के एक कोने (या किसी कपड़े) से पाने बिस्तर को अल्लाह का नाम लेकर (यानी “बिस्मिल्लाह”
कह
कर) तीन बार झाड़े”। *[मुस्लिम: 6892, बुख़ारी: 7393]*
सवारी पर सवार होते वक़्त “बिस्मिल्लाह” पढ़ना, जैसा कि अली
बिन रबीअ कहते हैं, मेरे सामने अली (र) के लिए सवारी लायी गई, जब उन्होंने रकाब
में पैर रखा तो “बिस्मिल्लाह” कहा, फिर जब इसकी पीठ पर सीधे बैठ गए तो
कहा “अल्हम्दुलिल्लाह”
फिर
कहा:
*سُبْحٰنَ الَّذِیْ سَخَّرَ لَنَا هٰذَا وَ مَا كُنَّا
لَهٗ مُقْرِنِیْنَۙ۱۳وَ اِنَّاۤ اِلٰى رَبِّنَا لَمُنْقَلِبُوْنَ۱۴*
“अल्लाह तमाम बुराइयों से पाक है, जिसने इस सवारी को हमारे लिए
मुसख़्ख़र कर दिया, हालांकि हम इसको क़ाबू में न ला सकते थे और बेशक हम अपने रब ही की
तरफ़ लौट कर जाने वाले हैं” फिर सय्यदना अली (र) ने कहा, मैंने रसूलुल्लाह (स) को देखा वो
भी ऐसा ही करते थे जैसा मैंने किया। *[अबू दावूद: 2602, तिरमिज़ी: 3446]*
जारी है...................................
सभी भाग पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और अपने दोस्तों और रिशतेदारों को शेयर करें
https://authenticmessages.blogspot.com/2020/12/surah-fatiha-part-8-8.html
No comments:
Post a Comment