Search This Blog

Friday, December 25, 2020

Surah Fatiha Part 7 (सुरह फ़ातिहा भाग 7)

  *أَعـــــــــــــــــــــــوذ بالله من الشيطان الرجيم*●

🍂🍃ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🍂🍃

🍃🎋🍃🎋...♡...🎋🍃🎋🍃🎋

*तफ़सीर दावतुल क़ुरआन* 

लेख़क: अबू नोमान सैफ़ुल्लाह ख़ालिद 

तर्जुमा: मोहम्मद शिराज़ (कैफ़ी)

*सूरह फ़ातिहा* 

*भाग 7*

*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ*

अल्लाह के नाम से जो बेहद रहम वाला, निहायत मेहरबान है

सय्यदना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहू अन्हुमा बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सूरतों का फ़र्क़ न पहचानते थे, यहाँ तक कि بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِनाज़िल की जाती। *[अबू दावूद: 788]*

सय्यदना अनस (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह (स) ने फ़रमाया: मुझ पर अभी एक सूरत नाज़िल हुई है। फिर आपने इस तरह तिलावत फ़रमाई:

*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ۝اِنَّاۤ اَعْطَیْنٰكَ الْكَوْثَرَؕ۝۱فَصَلِّ لِرَبِّكَ وَ انْحَرْؕ۝۲اِنَّ شَانِئَكَ هُوَ الْاَبْتَرُ۠۝۳*

अल्लाह के नाम से जो बेहद रहम वाला, निहायत मेहरबान है। बेशक हमने तुझे कौसर अता की, तो तू अपने रब के लिए नमाज़ पढ़ और क़ुरबानी कर, यक़ीनन तेरा दुशमन ही बेऔलाद होगा। *[मुस्लिम: 894]*

नुऐम रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं, मैंने अबू हुरैरा (र) के पीछे नमाज़ पढ़ी, उन्होंने सुरह फ़ातिहा से पहले بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِकी तिलावत की...................फिर फ़रमाया, क़सम उस ज़ात की, जिसके हाथ में मेरी जान है! मैं नमाज़ पढ़ने के लिहाज़ से तुम सबसे ज़्यादा रसूलुल्लाह (स) की तरह हूँ। *[नसाई: 906]*

इस मसले में कि बिस्मिल्लाहको जहरन (ऊँची आवाज़ से) पढ़ा जाए या सिर्रन (धीमी आवाज़ से), अल्लामा इब्ने क़य्यिम रहमतुल्लाह की बात एतिदाल वाली है कि नबी करीम (स) इसे कभी जहरन पढ़ते थे और कभी सिर्रन, हाँ, आपका सिर्रन पढ़ना ज़्यादा साबित है

सय्यदना अनस बिन मालिक (र) से नबी (स) की क़िरआत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने फ़रमाया कि आप (स) अल्फाज़ को ख़ींच कर क़िरआत फ़रमाया करते थे, फिर उन्होंने بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِकी इस तरह क़िरआत करके दिखाई कि بِسْمِ اللّٰهِको ख़ींच कर, फिर الرَّحْمٰنِको ख़ींच कर और फिर الرَّحِيْمِको ख़ींच कर पढ़ा। *[बुख़ारी: 5046]*

क़ुरआन करीम की कई आयतें और सहीह हदीसों से मालूम होता है कि एक मुसलमान की ज़िन्दगी में बिस्मिल्लाहकी बड़ी अहमियत है और कोई भी काम करने से पहले *बिस्मिल्लाह”* कहना ख़ैर व बरकत का ज़रिया, अल्लाह की मदद व हिमायत का ज़रिया और ताईद व हिफाज़त का सबब हैबिस्मिल्लाहकहने से शैतान ज़लील हो जाता है, जैसा कि अबुल मलीह एक सहाबी से बयान करते हैं, वो कहते हैं कि मैं गधे पर नबी करीम (स) के पीछे सवार था, गधा ज़रा फिसला तो मैंने कहा, शैतान का बुरा हो, तो नबी (स) ने मुझसे फ़रमाया: यह न कहो कि शैतान का बुरा हो, क्यूंकि इससे शैतान फूल जाता है और कहता है कि मैंने अपनी ताक़त के साथ इसे गिराया है, सो अगर तुम बिस्मिल्लाहकहो तो इससे शैतान अपने आपको निहायत छोटा और हक़ीर समझता है, यहाँ तक कि मक्खी से भी ज़्यादा छोटा और ज़्यादा हक़ीर। *[मुसनद अहमद: 20616, सुनन कुबरा लिननसाई: 10388]*

ख़त व किताबत की शुरूआत बिस्मिल्लाहसे करना चाहिए, जैसा कि सय्यदना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहू अन्हुमा से रिवायत है कि सय्यदना अबू सुफ़ियान (र) ने बयान किया कि रसूलुल्लाह (स) ने हरक़ुल के नाम एक ख़त लिखा था, जब बादशाह ने उस ख़त को मंगवाया तो उसके शुरू में यह लिखा था: {{بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ}} *[बुख़ारी: 7, मुस्लिम: 4607]*

सय्यदना सुलैमान अलैहिस्सलाम ने जो ख़त मलका सबा को लिखा था उसकी शुरूआत इस तरह होती है:

*اِنَّهٗ مِنْ سُلَیْمٰنَ وَ اِنَّهٗ بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِۙ۝۳۰*

बेशक वो सुलैमान की तरफ़ से है और बेशक वो अल्लाह के नाम से है जो बेहद रहम वाला, निहायत मेहरबान है। *[अन-नम्ल: 30]*

सय्यदना मिसवर बिन मख़ज़मह और मरवान रज़ियल्लाहू अन्हुमा बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह (स) ने जब हुदैबिया के मक़ाम पर सुलह नामा लिखवाने का इरादा किया तो आपने कातिब को बुलवाया और उससे फ़रमाया: {{اكْتُبْ بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ}} بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ लिखो। *[बुख़ारी: 2731,2732, मुस्लिम: 4632]*

वुज़ू से पहले बिस्मिल्लाहपढ़ना ज़रूरी है, जैसा कि सय्यदना अनस (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह (स) ने फ़रमाया: {{تَوَضَّئُوا بِسْمِ اللَّهِ}} अल्लाह के नाम के साथ वुज़ू करो। *[नसाई: 78]*

बीवी से हमबिस्तरी करने से पहले बिस्मिल्लाहपढ़ना, जैसा कि सय्यदना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहू अन्हुमा बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह (स) ने फ़रमाया: जब तुममें से कोई अपनी बीवी के पास आये तो यह कहे: *{{بِاسْمِ اللَّهِ اللَّهُمَّ جَنِّبْنِي الشَّيْطَانَ وَجَنِّبْ الشَّيْطَانَ مَا رَزَقْتَنَا}}*अल्लाह के नाम के साथ, ऐ अल्लाह! हमें शैतान से महफूज़ रख और जो (औलाद) तू हमें दे उसे भी शैतान से महफूज़ रखतो अब अगर मुक़द्दर में औलाद है तो शैतान इसको कभी नुक़सान नहीं पहुँचाएगा। *[बुख़ारी: 5165, मुस्लिम: 3533]*

जारी है...................................

सभी भाग पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और अपने दोस्तों और रिशतेदारों को शेयर करें

https://authenticmessages.blogspot.com/2020/12/surah-fatiha-part-7-7.html


No comments:

Post a Comment

Tafseer Dawat ul Quran (Hindi Translation) Part 8

 أَعـــــــــــــــــــــــوذ بالله من الشيطان الرجيم● 🍂🍃ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🍂🍃 📒 तफ़सीर दावतुल क़ुरआन 📒 ✒️ लेख़क: अ...