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Friday, December 25, 2020

Surah Fatiha Part 6 (सुरह फ़ातिहा भाग 6)

 *أَعـــــــــــــــــــــــوذ بالله من الشيطان الرجيم*●

🍂🍃ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🍂🍃

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*तफ़सीर दावतुल क़ुरआन* 

लेख़क: अबू नोमान सैफ़ुल्लाह ख़ालिद 

तर्जुमा: मोहम्मद शिराज़ (कैफ़ी)

*सूरह फ़ातिहा* 

*भाग 6*

नमाज़ में शैतानी वस्वसों से अल्लाह की पनाह चाहना, जैसा कि सय्यदना उस्मान बिन अबुल आस रज़ियल्लाहू अन्हु बयान करते हैं कि मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा, ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे और मेरी नमाज़ और क़िरआत के बीच शैतान आ जाता है, वो मुझ पर क़िरआत को गड़मड़ करता है, तो आपने फ़रमाया: ये शैतान है, जिसे ख़िन्ज़ब कहा जाता है, जब तुम इसके आने को महसूस करो तो इस (के शर) से अल्लाह तआला की पनाह तलब करो (यानीاَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰنِ الرَّجِيْمِ   पढ़ो) और तीन बार अपनी बाईं तरफ़ थुतकारो। उस्मान रज़ियल्लाहू अन्हु कहते हैं कि मैंने ऐसा ही किया तो अल्लाह ने इस शैतान को मुझसे दूर कर दिया। *[मुस्लिम: 5738, मुसनद अहमद: 17918]*

बच्चों के लिए अल्लाह की पनाह चाहना, जैसा कि सय्यदना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहू अन्हुमा बयान करते हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हसन व हुसैन रज़ियल्लाहू अन्हुमा के लिए इन शब्दों के ज़रिये पनाह तलब किया करते थे: {{أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّةِ مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ وَهَامَّةٍ وَمِنْ كُلِّ عَيْنٍ لَامَّةٍ}}मैं अल्लाह के तमाम कलिमात एक साथ (तुम दोनों के लिए) हर शैतान से और उस मख़लूक़  से जो बुराइ का इरादा करे और हर नज़र लगाने वाली आँख से पनाह मांगता हूँ। *[बुख़ारी: 3371]*

बीमारी के वक़्त अल्लाह की पनाह माँगना, जैसा कि सय्यदना उस्मान बिन अबुल आस रज़ियल्लाहू अन्हु कहते हैं कि मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से एक बीमारी की शिकायत की जो इस्लाम क़ुबूल करने के बाद मैंने पहली बार महसूस की थी। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: अपने हाथ को अपने जिस्म पर तकलीफ़ वाली जगह रख कर तीन बार ‘बिस्मिल्लाह’ कहो और सात बार ये दुआ पढ़ो: {{}} ‘मैं अल्लाह तआला की और उसकी क़ुदरत की पनाह पकड़ता हूँ उस चीज़ के शर से जो मैं पाता हूँ और जिससे डरता हूँ’ *[मुस्लिम: 5737]*

बुरा ख़्वाब देखने पर अल्लाह की पनाह तलब करना, जैसा कि सय्यदना अबू क़तादा रज़ियल्लाहू अन्हु बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: अच्छा ख़्वाब अल्लाह तआला की तरफ़ से होता है और बुरा ख़्वाब शैतान की तरफ़ से होता है, तो अगर तुममें से कोई शख़्स बुरा ख़्वाब देख कर उससे डर जाए तो वो अपनी बाईं तरफ़ थुतकारे और अल्लाह तआला से उसके शर से पनाह मांगे तो वो उसे नुक़सान न पहुँचायेग। *[बुख़ारी: 3292]*

सुबह व शाम और बिस्तर पर लेटते वक़्त अल्लाह की पनाह में आना जैसा कि सय्यदना अबू हुरैरा रज़ियल्लाहू अन्हु बयान करते हैं कि सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहू अन्हु ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल! मुझे ऐसी दुआ सिखा दीजिये जो मैं सुबह व शाम पढ़ा करूँ। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: ये पढ़ा करो:

}}اللَّهُمَّ عَالِمَ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ فَاطِرَ السَّمَوَاتِ وَالْأَرْضِ رَبَّ كُلِّ شَيْءٍ وَمَلِيكَهُ أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ، أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ نَفْسِي وَمِنْ شَرِّ الشَّيْطَانِ وَشِرْكِهِ{{

‘ऐ अल्लाह! ज़ाहिर व छुपे हुए को जानने वाले! आसमान व ज़मीन के पैदा करने वाले! हर चीज़ को पालने वाले और उसके मालिक! मैं गवाही देता हूँ कि तेरे सिवा कोई माबूद नहीं, मैं अपने नफ़्स के शर से और मरदूद शैतान के शर और शिर्क से तेरी पनाह चाहता हूँ’ फिर आपने फ़रमाया:इस दुआ को सुबह व शाम और रात को बिस्तर पर जाते वक़्त पढ़ा करो। *[तिरमिज़ी: 3392]*

अक़ाइद में शैतानी वस्वसों से अल्लाह की पनाह तलब करना, जैसा कि सय्यदना अबू हुरैरा रज़ियल्लाहू अन्हु बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: शैतान तुम्हारे किसी शख़्स के पास आता है तो वो कहता है:  इसको किसने पैदा किया? इसको किसने पैदा किया? यहाँ तक की कहता है: तेरे रब को किसने पैदा किया है? तो जब तुममें से कोई इस हद तक पहुँच जाए तो वो अल्लाह की पनाह तलब (यानी اَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰنِ الرَّجِيْمِ    पढ़ ले) करे और इस (शैतानी ख़याल) को छोड़ दे”। *[बुख़ारी: 3276, मुस्लिम: 345]*

मौत के वक़्त शैतानी हमले से अल्लाह की पनाह चाहना, जैसा कि सय्यदना अबुल यसर रज़ियल्लाहू अन्हु रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बयान करते हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यह दुआ किया करते थे:

}}اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنَ التَّرَدِّي وَالْهَدْمِ وَالْغَرَقِ وَالْحَرِيقِ، وَأَعُوذُ بِكَ أَنْ يَتَخَبَّطَنِي الشَّيْطَانُ عِنْدَ الْمَوْتِ، وَأَعُوذُ بِكَ أَنْ أَمُوتَ فِي سَبِيلِكَ مُدْبِرًا، وَأَعُوذُ بِكَ أَنْ أَمُوتَ لَدِيغًا {{

ऐ अल्लाह! में तेरी पनाह माँगता हूँ किसी चीज़ के नीचे आने से, ऊँची जगह से गिरने से, डूबने और जलने से और तेरी पनाह माँगता हूँ कि मौत के वक़्त शैतान मुझे बहका दे और मैं तेरी पनाह माँगता हूँ इस बात से कि तेरी राह में जिहाद से भागता हुआ मरूं और इस बात से भी तेरी पनाह माँगता हूँ कि किसी ज़हरीले जानवर के डसने से मुझे मौत आए। *[नसाई: 5533]*

सुबह व शाम के वक़्त अल्लाह की पनाह में आना, जैसा कि सय्यदना अबू हुरैरा (र) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह (स) ने फ़रमाया: अगर तुम शाम को यह कलिमात पढ़ लेते:

}}أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّاتِ مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ{{

मैं अल्लाह के मुकम्मल कलिमात के साथ तमाम चीज़ों के शर से पनाह चाहता हूँ जो उसने पैदा की हैंतो तुम्हें कोई नुक़सान न पहुँचता। *[मुस्लिम: 6880]*

जारी है...................................

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