🍁 *حدیث:-* وَفِي الْمُتَّفَقِ عَلَيْهِ: قِيلَ لِعَبْدِ اللَّهِ بْنِ زَيْدِ بْنِ عَاصِمٍ: تَوَضَّأْ لَنَا وُضُوءَ رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَدَعَا بِإِنَاءٍ فَأَكْفَأَ مِنْهُ عَلَى يَدَيْهِ فَغَسَلَهُمَا ثَلَاثًا ثُمَّ أَدْخَلَ يَدَهُ فَاسْتَخْرَجَهَا فَمَضْمَضَ وَاسْتَنْشَقَ مِنْ كَفٍّ وَاحِدَةٍ فَفَعَلَ ذَلِكَ ثَلَاثًا ثُمَّ أَدْخَلَ يَدَهُ فَاسْتَخْرَجَهَا فَغَسَلَ وَجْهَهُ ثَلَاثًا ثُمَّ أَدْخَلَ يَدَهُ فَاسْتَخْرَجَهَا فَغَسَلَ يَدَيْهِ إِلَى الْمِرْفَقَيْنِ مَرَّتَيْنِ مَرَّتَيْنِ ثُمَّ أَدْخَلَ يَدَهُ فَاسْتَخْرَجَهَا فَمَسَحَ بِرَأْسِهِ فَأَقْبَلَ بِيَدَيْهِ وَأَدْبَرَ ثُمَّ غَسَلَ رِجْلَيْهِ إِلَى الْكَعْبَيْنِ ثُمَّ قَالَ هَكَذَا كَانَ وُضُوءُ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ
وَفِي رِوَايَةٍ: فَأَقْبَلَ بِهِمَا وَأَدْبَرَ بَدَأَ بِمُقَدَّمِ رَأْسِهِ ثُمَّ ذَهَبَ بِهِمَا إِلَى قَفَاهُ ثُمَّ رَدَّهُمَا حَتَّى رَجَعَ إِلَى الْمَكَانِ الَّذِي بَدَأَ مِنْهُ ثُمَّ غَسَلَ رجلَيْهِ
وَفِي رِوَايَة: فَمَضْمض واستنشق واستنثر ثَلَاثًا بِثَلَاث غَرَفَاتٍ مِنْ مَاءٍ
وَفِي رِوَايَةٍ أُخْرَى: فَمَضْمَضَ وَاسْتَنْشَقَ مِنْ كَفَّةٍ وَاحِدَةٍ فَفَعَلَ ذَلِكَ ثَلَاثًا
وَفِي رِوَايَةٍ لِلْبُخَارِيِّ: فَمَسَحَ رَأْسَهُ فَأَقْبَلَ بِهِمَا وَأَدْبَرَ مَرَّةً وَاحِدَةً ثُمَّ غَسَلَ رِجْلَيْهِ إِلَى الْكَعْبَيْنِ
وَفِي أُخْرَى لَهُ: فَمَضْمَضَ وَاسْتَنْثَرَ ثَلَاثَ مَرَّات من غرفَة وَاحِدَة
🍁 *तर्जुमा :-* और सहीहैन में है की अब्दुल्लाह बिन ज़ैद बिन आसिम रज़ियल्लाहू अन्हु से कहा गया कि हमें रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का वुज़ू करके दिखाइए, तो उन्होंने पानी का एक बर्तन मंगवाया और उसमें से कुछ पानी अपने हाथो पर उंडेला और उन्हें तीन मर्तबा धोया, फिर अपने हाथ को पानी के बर्तन में डाला और उसमें पानी लेकर एक ही चुल्लू से कुल्ली की और नाक में पानी डाला, उन्होंने यह तीन मर्तबा किया, फिर उन्होंने अपना हाथ बर्तन में डाल कर इससे पानी निकाला और तीन मर्तबा अपना चेहरा धोया, फिर अपना हाथ बर्तन में डाला और पानी निकाल कर दो दो मर्तबा हाथो को कहोनियो समेत धोया, फिर अपना हाथ बर्तन में डाल कर इससे और पानी निकाल कर अपने सर का मसाह किया, अपने हाथो को आगे ले गए और वापस लाए, फिर उन्होंने टख़नो तक पाँव धोए, फिर उन्होंने फ़रमाया: रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का वुज़ू इसी तरह था। एक रिवायत में है सर का मसाह करते वक़्त हाथो को सर की अगली तरफ़ से गुद्दी तक ले गए और फिर उन्हे वहीँ वापस ले आए जहाँ से शुरू किया था, फिर अपने दोनों पाँव धोए। एक दूसरी रिवायत में है: आपने तीन मर्तबा कुल्ली की, नाक में पानी डाला और नाक झाड़ी और ऐसा तीन चुल्लू पानी के साथ किया। एक और रिवायत में है: आपने एक चुल्लू के साथ ही कुल्ली की और नाक में पानी डाला और आपने ऐसा तीन मर्तबा किया। बुख़ारी की रिवायत में है: आपने सर का मसाह किया, आप हाथो को आगे ले गए और वापस लाए, आपने यह एक मर्तबा किया, फिर आपने टख़नो तक दोनों पाँव धोए और बुख़ारी की दूसरी रिवायत में है: आपने एक ही चुल्लू से तीन मर्तबा कुल्ली की और नाक झाड़ी।
📚 *[मुत्तफ़िक़ अलैह, बुख़ारी (185,186,191,192,199), मुस्लिम (555), मिशकातुल मसाबीह (394)]*
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