🍁 *حدیث:-* وَعَن عبد الله بن عَمْرو قَالَ: رَجَعْنَا مَعَ رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ مِنْ مَكَّةَ إِلَى الْمَدِينَةِ حَتَّى إِذا كُنَّا بِمَاء بِالطَّرِيقِ تعجل قوم عِنْد الْعَصْر فتوضؤوا وهم عِجَال فَانْتَهَيْنَا إِلَيْهِم وَأَعْقَابُهُمْ تَلُوحُ لَمْ يَمَسَّهَا الْمَاءُ فَقَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: «وَيْلٌ لِلْأَعْقَابِ من النَّار أَسْبغُوا الْوضُوء» . رَوَاهُ مُسلم
🍁 *तर्जुमा :-* अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहू अन्हुमा बयान करते हैं, हम अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ मक्का से मदीना वापस आ रहे थे यहाँ तक कि हम रास्ते में पानी के पास से गुज़रे, कुछ लोगो ने अस्र की नमाज़ के लिए जल्दी की, तो उन्होंने जल्दी में वुज़ू किया। जब हम उनके पास पहुँचें तो देखा कि उनकी एड़िया (सूखी होने की वजह से) चमक रही थी, इन तक पानी नहीं पहुंचा था, तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: “एड़ियो के लिए जहन्नम की आग है, वुज़ू खूब अच्छी तरह मुकम्मल करो”।
📚 *[मुस्लिम (570), मिशकातुल मसाबीह (398)]*
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