🍂🍃ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🍂🍃
🍁 *حدیث:-* عَنْ أَبِي أَيُّوبَ الْأَنْصَارِيِّ قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: «إِذَا أَتَيْتُمُ الْغَائِطَ فَلَا تَسْتَقْبِلُوا الْقِبْلَةَ وَلَا تَسْتَدْبِرُوهَا وَلَكِنْ شَرِّقُوا أَوْ غَرِّبُوا»
قَالَ الشَّيْخ الإِمَام محيي السّنة: هَذَا الْحَدِيثُ فِي الصَّحْرَاءِ وَأَمَّا فِي الْبُنْيَانِ فَلَا بَأْس لما رُوِيَ:
🍁 *तर्जुमा :-* अबू अय्यूब अंसारी रज़ियल्लाहू अन्हु बयान करते हैं, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “जब तुम बैतूल ख़ला में जाओ, तो क़िब्ले की तरफ न मुंह करो और न पीठ, बल्कि पूरब या पश्चिम की तरफ मुंह करो”।
शेख़ुल इमाम मुह्युस्सुन्नाह रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया: यह हदीस जंगल में है, रहा घर या इमारत आदि में कोई हरज नहीं, जैसा कि अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहू अन्हु से मरवी है।
📚 *[ मुत्तफ़िक़ अलैह, बुख़ारी (394), मुस्लिम (609), मिशकातुल मसाबीह (334)]*
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