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Friday, September 6, 2024

Tafseer Dawat ul Quran (Hindi Translation) Part 7

 أَعـــــــــــــــــــــــوذ بالله من الشيطان الرجيم●


🍂🍃ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🍂🍃


📒 तफ़सीर दावतुल क़ुरआन 📒


✒️ लेख़क: अबू नोमान सैफ़ुल्लाह ख़ालिद 


🖋️ तर्जुमा: मोहम्मद शिराज़ (कैफ़ी)


🌺🍀🍁 सूरह फ़ातिहा 🌺🍀🍁


➡️ भाग 7

किसी वादी या मंज़िल पर पड़ाव के वक़्त अल्लाह की पनाह में आना, जैसा कि ख़ला बिन्ते हुकैम रज़ियल्लाहू अन्हा से रिवायत है कि मैंने नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फ़रमाते हुए सुना: “जो शख़्स किसी जगह पड़ाव करे और ये दुआ पढ़े: {{ أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّاتِ مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ}} “अल्लाह के तमाम कलिमात के साथ, उन सब चीज़ों के शर से पनाह मांगता हूँ जिनको उसने पैदा किया” तो उसे कोई चीज़ नुक़सान नहीं पहुँचा सकती, यहाँ तक कि वो वहाँ से निकल जाए”। [मुस्लिम: 6878]

मस्जिद में दाख़िल होते वक़्त अल्लाह की पनाह में आना, जैसा सय्यदना अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहू अन्हुमा नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बयान करते हैं कि जब आप मस्जिद में दाख़िल होते तो ये फ़रमाते थे:

{{ أَعُوذُ بِاللَّهِ الْعَظِيمِ وَبِوَجْهِهِ الْكَرِيمِ وَسُلْطَانِهِ الْقَدِيمِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ}} “मैं अज़मत वाले अल्लाह और उसके करीम चेहरे की और उसकी क़दीम सल्तनत की पनाह चाहता हूँ, मरदूद शैतान से” और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फ़रमाते थे: “जो ऐसा कहे तो शैतान कहता है कि तू मुझसे आज पूरा दिन महफूज़ रहेगा”। [अबू दावूद: 466]

मस्जिद से निकलते वक़्त अल्लाह की पनाह तलब करना, जैसा कि सय्यदना अबू हुरैरा रज़ियल्लाहू अन्हु बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “तुममें से जब कोई शख़्स मस्जिद में दाख़िल हो तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर सलाम पढ़े और ये दुआ पढ़े: {{اللَّهُمَّ افْتَحْ لِي أَبْوَابَ رَحْمَتِكَ}} “ऐ अल्लाह! मेरे लिए अपनी रहमत के दरवाज़े खोल दे”। और जब मस्जिद से निकले तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर सलाम पढ़े और ये कहे:

{{ اللَّهُمَّ اعْصِمْنِي مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ}} “ऐ अल्लाह! मुझे शैतान मरदूद के शर से महफूज़ रख”। [इब्ने माजा: 773]

नमाज़ में शैतानी वस्वसों से अल्लाह की पनाह चाहना, जैसा कि सय्यदना उस्मान बिन अबुल आस रज़ियल्लाहू अन्हु बयान करते हैं कि मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा, ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे और मेरी नमाज़ और क़िरआत के बीच शैतान आ जाता है, वो मुझ पर क़िरआत को गड़मड़ करता है, तो आपने फ़रमाया: “ये शैतान है, जिसे ख़िन्ज़ब कहा जाता है, जब तुम इसके आने को महसूस करो तो इस (के शर) से अल्लाह तआला की पनाह तलब करो (यानीاَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰنِ الرَّجِيْمِ   पढ़ो) और तीन बार अपनी बाईं तरफ़ थुतकारो”। उस्मान रज़ियल्लाहू अन्हु कहते हैं कि मैंने ऐसा ही किया तो अल्लाह ने इस शैतान को मुझसे दूर कर दिया। [मुस्लिम: 5738, मुसनद अहमद: 17918]

जारी है...................................

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Tafseer Dawat ul Quran (Hindi Translation) Part 8

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