🍂🍃ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ🍂🍃
🍁 *حدیث:-* وَعَنْ عَمْرِو بْنِ شُعَيْبٍ عَنْ أَبِيهِ عَنْ جده قَالَ: جَاءَ أَعْرَابِيٌّ إِلَى النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَسْأَلُهُ عَنِ الْوُضُوءِ فَأَرَاهُ ثَلَاثًا ثَلَاثًا ثُمَّ قَالَ: «هَكَذَا الْوُضُوءُ فَمَنْ زَادَ عَلَى هَذَا فَقَدْ أَسَاءَ وَتَعَدَّى وَظَلَمَ» . رَوَاهُ النَّسَائِيُّ وَابْنُ مَاجَهْ وَرَوَى أَبُو دَاوُدَ مَعْنَاهُ
🍁 *तर्जुमा :-* अम्र बिन शुऐब अपने बाप से और वो अपने दादा से रिवायत करते हैं कि एक देहाती नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हुआ और उसने आपसे वुज़ू के बारे में पुछा तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तीन तीन मर्तबा बदन के वुजू के हिस्से को धो कर इसे दिखाए, फिर फ़रमाया: “इस तरह (मुकम्मल) वुज़ू है, तो जिसने इससे ज़्यादा मर्तबा किया उसने बुरा किया, हद से तजावुज़ किया और ज़ुल्म किया”। नसाई, इब्ने माजा जबकि अबू दावुद ने इसी मायने में रिवायत किया है।
📚 *[इसकी सनद हसन है, नसाई (140), इब्ने माजा (422), अबू दावुद (135), {इब्ने ख़ुज़ैमा: 174} , मिशकातुल मसाबीह (417)]*
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