🍁 *حدیث:-* وَعَنْ لَقِيطِ بْنِ صَبِرَةَ قَالَ: قُلْتُ: يَا رَسُولَ اللَّهِ أَخْبِرْنِي عَنِ الْوُضُوءِ. قَالَ: «أَسْبِغِ الْوُضُوءَ وَخَلِّلْ بَيْنَ الْأَصَابِعِ وَبَالِغْ فِي الِاسْتِنْشَاقِ إِلَّا أَنْ تَكُونَ صَائِمًا» . رَوَاهُ أَبُو دَاوُدَ وَالتِّرْمِذِيُّ وَالنَّسَائِيُّ وَرَوَى ابْنُ مَاجَه والدارمي إِلَى قَوْله: بَين الْأَصَابِع
🍁 *तर्जुमा :-* लक़ीत बिन सबिरह रज़ियल्लाहू अन्हु बयान करते हैं, मैंने अर्ज़ किया: अल्लाह के रसूल! मुझे वुज़ू के बारे में बताइए, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “वुज़ू अच्छी तरह करो, उंगलियों के दरमियान ख़िलाल करो और रोज़े की हालत के अलावा नाक में पानी ख़ूब चढ़ाओ”। अबू दावुद, तिरमिज़ी, नसाई और इब्ने माजा और दारमी ने ((بَيْنَ الْأَصَابِعِ)) तक रिवायत किया है।
📚 *[सहीह, अबू दावूद (142), तिरमिज़ी (788), नसाई (87,114), इब्ने माजा (407,448), दारमी (711), सहीह ख़ुज़ैमा (150,168), इब्ने हिब्बान (अल-मवारिद: 159), हाकिम (1/147,148), मिशकातुल मसाबीह (405)]*
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